तरस रही हूँ . . .

तरस रही हूँ . . . मोम की तरह पूरी रात दिल रोशनी से पिघलता रहा। पर वो इस हसीन रात को नहीं आये मेरे दिल में। मैं जलती रही और नीचे फिरसे जम...
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भईया के नाम . . .

भईया के नाम . . . मैं  यहाँ हूँ, किंतु प्राणों का  तार समर्पित है, भईया के नाम! मैं रहूँ ना रहूं, मेरा प्यार  समर्पित है, भईया के नाम...
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प्रेम है मित्र . . .

प्रेम है मित्र अथाह,असीम हृदयतल की गहराइयों से निष्पाप,निष्कलुष स्नेह है ,,तुमसे मित्र। जिसमे वासना नहीं हवस भी नहीं कोई माँग नहीं कोई उ...
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अवगुंठन . . .

सुनो पच्चीस साल हो गए,, हमें संग रहते प्रेम से,, खुश हूँ आपको पाकर,, आप भी मुझसे खुश हो,, मगर,,कुछ राज बताना चाहती हूँ,, आपको,,बहुत अरमा...
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जय हो नारी चरित्र . . .

नारी जल है ,हर पात्र में ढल जाए, हर रंग में रंग रंगीन हो जाए। नारी खुशबू है हवा में घुल जाए, महकती हर चीज में समा जाए। नारी एहसास है भाव...
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दिल की बात . . .

जिसे मैंने चाहा दिल से वह किसी और की हो गई प्यार किया था मैंने दुल्हन किसी और की हो गई। बताती हो  मुझे  दिल  से चाहने वाले  बहुत  हैं ठु...
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वो ज़माना और था . . .

वो ज़माना और था...😌 कि जब दरवाजों पे ताला नहीं भरोसा लटकता था । कि जब पड़ोसियों के आधे बर्तन हमारे घर और हमारे बर्तन उनके घर मे होते थे। ...
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प्रभात मनन . . .

तुम अविनाशी आत्मा     तुममें बसे बैठेहै परमात्मा सूर्य की तरह अटल रहना      चन्द्रमा सेअमृतोपम बनना ब्रह्मांड के शक्ति पुंज हो तुम     ...
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प्रकृति . . .

में हूं तेरा प्रेमी , तू भी है हमारी प्रेमी, कितना मिलन है सब जगह प्रकृति प्रेमी। देख के तेरा एक रूप दिल हमारा बने प्रेमी, सावन भी तेरा...
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मृगनयनी . . .

तेरी आँखे मृगनयनी सी।  मुख छब  अरुणिमा सी तू चंचल मृग छौने सी तेरी हर अदा बिजली सी।। सितारों के पार चलो। मेरे साथ दिलबर चलो। आओ कुछ देर ...
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जय श्री राम . . .

सत्य ,अद्भुत ,अविश्वसनीय राम। अकल्पनीय चरित्र के धनी राम। अधर्म पर धर्म स्थापित करे राम। रोम रोम में ,घट घट में बसे राम। लेखनी सफल करते...
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