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कारगिल विजय दिवस मनाते खुशी खुशी हम,, अमर बलिदानी शहीदों को करे हम सब नमन,, विजय की खुशी के पीछे बलिदान हमेशा होता मन,, आँखों के किनारे ठहरा एक आँसू कर गया सवाल,,क्यों मन।
देश के तिरंगे को लहराते हम खूब फख्र ओ नाज से,, सरहद पर जान दे देते कितने फौजी शान से,, व्यर्थ न जाएगी कभी उन बलिदानी वीरों की जान ,,तन से,, आँखों के किनारे ठहरा एक आँसू सुबक रहा,,आत्मा से।
परदेसी फौजी की पत्नी का विरह सब जानते हैं,, उस वीरांगना की सहन शक्ति को सब बखानते हैं,, फौजी परिवार की पल पल की प्रतीक्षा पहचानते हैं,, उनके गर्व के पीछे आँखों के किनारे ठहरा एक आँसू दिखताहैं,,
बहुत दर्द सहते है माँ बाप बेटे के सरहद पर रहने पर,, अभियान और मिशन पर बेटे के जाने पर,, पल पल दुआ करते बेटे की सलामती को ,,पर मन के दुःख को प्रकट करता आँखों के किनारे ठहरा एक आँसू।
धन्य भारत भारती, धन्य तिरंगे के दीवाने मतवाले,, भयंकर ठंड,बारिश,भूख ,प्यास,संकट सहते सैनिक निराले। कर देते जीवन सहर्ष मातृ भूमि के ही हवाले। मन में अटूट श्रद्धा के साथ आँखों के किनारे ठहरा एक आँसू ,,संभाले।
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