भईया के नाम . . .

मैं  यहाँ हूँ, किंतु प्राणों का  तार समर्पित है,
भईया के नाम!

मैं रहूँ ना रहूं, मेरा प्यार  समर्पित है,
भईया के नाम!

तू चंदा है, तू तारा है, आनेवाले कल का
तू उजाला  है!

माँ के जीवन  का तू  सहारा है,तुझसे ही,
माँ का जग सारा है!

आज प्राणों के तार से राखी की डोर बनाउंगी!
अरमानों के फूल  से रोली चंदन  सजाउंगी  !

हृदय के बहते नीर से यादों पर तिलक लगाउंगी !
ख्यालों की जंजीर से, यादों की तस्वीर से,

भईया  की छवि बनाउंगी  !
इस खुशी के नाम पर हर चीज़  नीरस सी लगती  है,

जिधर  देखने जाउं,बस तेरी छवि ही दिखती है!
वो तेरी मंद मुस्कान, सागर सा गहरा व्यक्तित्व,

जिसमें छिपे हैं हजारों सीप और उसमें  सिंचित है
बहना के लिए प्यार के मोती
उन मोतियों में  मैं उज्जवलित हो गयी हूँ,

हृदय गति रुक  गयी और मैं  समाहित  हो गयी
परम आनंददायक पर्व राखी के त्योहार में,

हर जन्म  में  मैं बनी रहूं आपकी बहना
ताकि मिलता रहे आपके  प्यार का गहना!
मैं  राखी का त्योहार  समर्पित  करती हूँ  ,

भईया के नाम!
मैं  हूँ या ना रहूं मेरा प्यार समर्पित है,
भईया के नाम!


Hema Singh

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