ऊँचे नभ को छूने की देश के वीरों ने ठानी थी,,
कारगिल विजय जवानों को प्राण दे पानी थी,,
तिरंगा लहरा अपनी आजादी की बिगुल बजानी थी,,
दिगन्त,,सुदूर भारत की विजय ध्वजा फहरानी थी,,।
सुन लो ओ पड़ोसी देशों,,ये तो मात्र उदाहरण हैं,,
इससे भी कड़ा मुकाबला जीतने का प्रण हैं,,
शौर्यवीर, कर्मवीर, युद्धवीर दे देंगे अबप्राण हैं,,,
आधुनिक अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित आरोहण हैं,।
कोई आँख उठाकर न देखो तिरंगे की शानकम कर,,
तन मन वार देंगे पराक्रमी जान की बाजी लगा कर,,
ओ भारत माता के सच्चे सपूतों,तिरंगे को लहराकर,,,
विजय कारगिल की घोषित करते ऊँचे शिखर पर चढ़कर,,
साहस ओज, तेज शौर्य के शक्ति पुंज नमन है,,
तिरंगे की आन के मतवाले प्रेमियों को नमन हैं,,
आज के दिवस के गौरव का भान करवाने वालों को नमन हैं,,
मातृ भूमि की आजादी के परवानो का नमन हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें