चरणों में जगह दे दे . . .

हे पावन पुण्य सरस सलिला,
देकर मां वरदान अमर कर दे।
जब शीश गिरे समरांगन में मेरे,
इतनी सी दया कर मां चरणों में जगह दे दे।।


हो रहा अब शंखनाद सरहद पर,
लहू से मां सोनित चंदन कर दे।
अंग - अंग शस्त्रों से सज कर,
रक्त पुष्प से मां अभिनंदन कर दे।।


शौर्य ,वीर ,पराक्रमी का वरदान दे जननी,
जोश भरा मन हृदय प्रफुल्लित कर दे।
अमर शहीदों की गाथाओं में मां,
मुझको भी थोड़ी सी जगह दे दे।।


जो भी आंख उठाकर मां तुझको देखे,
उसका लहू पीकर प्यास बुझाने दे दे।
तेरा कर्ज बहुत है मां मुझ पर,
अब वह सारा कर्ज चुकाने दे दे।।


नस - नस में तेरा ही लहू भरा है माता,
बूंद - बूंद लहू का आज बहाने दे दे।
सौभाग्य से आज मिला है पावन अवसर,
लिपट तिरंगे में जन्मभूमि तक आने दे दे।।

Arun Anand

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