सवेरे सवेरे, यारों से मिलने, बन ठन के निकले हम

सवेरे सवेरे, यारों से मिलने, घर से दूर चले हम

रोके से ना रुके हम , मर्ज़ी से चलें हम

बादल सा गरजें हम , सावन सा बरसे हम

सूरज सा चमके हम - स्कूल चलें हम

ओहो..हो ओहो..हो हो..हो हो



इसके दरवाज़े से दुनिया के राज़ खुलते है

कोई आगे चलता है हम पीछे चलते है

दीवारों पे किस्मत अपनी लिखी जाती है

इस से हमको जीने की वजह मिलती जाती है



रोके से ना रुके हम , मर्ज़ी से चलें हम

बादल सा गरजें हम , सावन सा बरसें हम

सूरज सा चमके हम - स्कूल चलें हम

स्कूल चलें हम, हो..हो.. हो

ओहो..हो ओहो..हो हो..हो हो

रोके से ना रुके हम , मर्ज़ी से चलें हम

बादल सा गरजें हम , सावन सा बरसें हम

स्कूल चलें हम

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