में हूं तेरा प्रेमी , तू भी है हमारी प्रेमी,
कितना मिलन है सब जगह प्रकृति प्रेमी।

देख के तेरा एक रूप दिल हमारा बने प्रेमी,
सावन भी तेरा , बादल भी तेरा ये तो है प्रेमी।

फूलो की सुवास तू , मधुमक्खी की प्यास तू,
कितना अपना चलाती ,तौफा भी प्रेमी का तू।

मिले आंगन ने या दिल को नभ में
छा जाती सभी जगह हरभवन में ।

जब भी मेरा दिल थम जाता किसी बात पे ,
मेरे पास तू चली आती ,हवाओं में बहके।

दुख भी होता है लोग करते है तेरा संहार ,
लेकिन तू फिर भी वृक्ष की छाया बनके करती प्रहार।

कितना कोमल और नाजुक दिल है तेरा,
हम तो खो ही जाए उस दिन में बनके सहारा तेरा।

प्यार की प्रेम की मूरत तू है ,प्रेमी की जान भी तू,
जब कोई रूठ जाए प्रेमी, मनाने का जहान भी तू।

कलियुग का रखवाला है तू जो तेरा सन्मान करे,
कई जगह खड़ी भी रहती है तू उद्घाटक बनके ।

मेरा दिल हर पल तेरे सात रंग को देखना चाहता,
तेरी एक किरण सूरज से निकल के बूंदों में जब छा जाती।

Ankit Patel

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