नैनों में अधूरी प्यास लिए।
साथ पाने की आस लिए।

गौरी लाडली मन मोह लिए।
कान्हा पे सब कुछ लुटाए।

ओ बाँके बिहारी मन हर लिए।
देह रही बस प्राण संग लिए।

चुरा मेरा अंग यौवन सहज लिए।
देह का काव्य विरह अब लिए।

चित्र लिखित सी अजब छब लिए।
मौन मूक हुई मोहना मोह लिए।

मथुरा चले मोहे छोड़ क्यों दिए।
दासी राधे रो रो अर्ज किए।

सर्व शक्तिमान कान्हा त्याग दिए।
ऐसे असहाय क्यों बन गए।

जो संग ले जाते तो चरण स्वर्ग भए
दासी बन नित सेवा दर्शन किए

बोलो कान्हा काहे विधान न मेटिए
अपनी राधे बिन क्यों है जिए।

बस एक विनती कान्हा सुन लिए।
अंत समय दरस ही दे दिए।

मधुर मुरली की तान सुना दिए।
राधे बाहों में प्राण त्याग दिए।

मुरली फिर कान्हा तोड़ दिए।
अंतिम बार बस बजा लिए।

जन्म भर बिछड़े ,तड़पे राधे लिए।
अंत बाहों में कान्हा की लिए।

धन्य धन्य पावनप्रीत जो किए।
पूरक बन सदा जो हैं जिये।

जुगल जोड़ी मन मोह लिए।
प्रेयसी राधे प्रबल प्रेम किए।

मंदिर मंदिर युगल छवि सजे।
पत्नियां नहीं राधे संग मोहनहुए

Neelam Vyas

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