हर अच्छाई में कुछ बुराई भी समाई हैं,
महिलाओं के समक्ष कड़ी चुनौती आई हैं।

महिला कवयित्री  की रचनाओं को सर्वत्र मिली बधाई हैं,
प्रज्ञा सम्पन्न लेखनी में निखार दिनोदिन वो लाई हैं।

नित नव्य विषय पर उसने कलम  गजब चलाई हैं।
सुंदर ,सार्थक लेखन कर सृजना अनुपम बनाई हैं।

अच्छे ,गुणी ,साहित्यिक लोगों से प्रशंसा नित पाई हैं।
प्रमाणपत्रों की उसने सूची बड़ी कमाई हैं।

पर कुछ फिरका परस्त ,स्वार्थी लोगों से घबराई हैं।
उसकी मौलिक रचनाओँ को खुद के नाम प्रकाशित करवाई है।

ठगी सी रह जाती वो देख ये स्वार्थी मनोवृत्ति जो दुखदाई है।
खुद की मेहनत की कमाई क्योंकर धोखे से गवाई हैं।

कुछ मनचले लोग पर्सनल पर मैसेज कर देते हैं।
शुरुआत में सीखने की उनसे दुहाई देते हैं।

फिर सस्ता सा प्रेम निवेदन भी कर देते हैं।
सम्भ्रान्त महिला को क्रोध,दुख ,पीड़ा की अनुभूति सताई हैं,,

स्नेह से समझाती, न माने तो शिकायत की धमकी  देती हैं,,
न माने तो फिर ब्लॉक मनचले शोहदे को कर देती हैं।

किंतु इस झमेले में तनावपूर्ण हो जाती हैं,,
सहज ,सरल लेखनी कुंठित क्यों हो जाती हैं।

अपमान ,क्रोध,विवशता के अतिरेक से क्षुब्ध होती हैं।
खिली उत्फुल्लता भरी सृजनशीलता प्रभावित होती हैं,,।

क्यों हर मोड़ ,हर मुकाम पर ये मानसिक यातना सहती है।
मोबाइल के पटल पर भी क्यों नारी होने की पीड़ा सहती हैं।

हालांकि बहुत सभ्य ,शालीन लोग भी मिलते हैं।
जानपहचान में मर्यादा सदा बनाये रखते हैं।

पटल परिवार की तरह अपनापन देता हैं,,
पर कभी कभी ऐसे घटिया अनुभवों से गुजरना पड़ता हैं।।

क्यों नारी सिर्फ भोग्या ही समझी जाती रही हैं,,
हाड़ माँस की टाइमपास समझी जाती हैं।

नर समकक्ष नारी का अस्तित्व क्यों कमजोर पड़ जाता हैं।
वासना,दैहिक आकर्षण क्यों अभिशाप बन जाता हैं।

देह ,लोभ ,भोग से परे की मित्रता क्यों भंग करते हैं।
कुछ लोग क्यों बस नारी को पटाकर प्रेम पींगे बढ़ाना चाहते हैं।


काव्य सृजना के पुनीत कर्म माँ सरस्वती की आशीष हैं।
सभी माँ शारदे के प्रज्ञा सम्पन्न बेटे बेटी ही तो है।

दैहिक आकर्षण ,मनोरंजन के मारे पटल कलुषित करते हैं।
साहित्य साधना के पथ को क्यों कलंकित ये करते हैं।

यद्यपि अस्सी प्रतिशत भाई लोग सभ्य ,शिष्ट व्यवहारी हैं,,
बीस प्रतिशत की बुराई ने मानसिक पीड़ा ही बढाई हैं।

सोचो ,,भाइयों ,बहनों,, निजी भावनाओं को नियंत्रण करो।
माँ हँस वाहिनी की साधिकाओं को यू मत लज्जित करो।

एक निवेदन,,,जन हितार्थ,,नारी शक्ति,,।

Neelam Vyas

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