सावन का सुहाना मौसम आया . . .
संग राखी का त्यौहार लाया
रिमझिम बारिश की बूंदे सुहानी
पावन पर्व की सुनाती कहानी
रीत नहीं यह बंधन जन्म का
स्नेह-सुत्र यह जीवन भर का
बरस भर बहना बात जोहती
इस शुभ घड़ी की राह टोहती
कच्ची डोर की गिरह पक्की
सारे रिश्तो से गहरी सच्ची
भाई बहना की ऐसी जोड़ी
दोनों बचपन के हमजोली
संग खेले ,खाए, दौड़े ,नाचे
सोए-जागे किए घंटों बातें
बचपन या हो कोई उमर
नाता यह हर वय में प्रखर
बहना वही स्नेह प्यार बिखेरती
आंचल में उसे अपने संजोती
कुमकुम चंदन हल्दी रोली
कलाई बांध के धागा मौली
आरती की थाल सजा धजा के
बहन भाई की दीर्घ आयु मांगे
माथे पर पावन तिलक सुसाजे
मस्तक चूम सारी बलइयां उतारे
प्रीत के धागों के बंधन से
सारी उम्र की सुरक्षा मांगे
पवित्र डोर से बंधकर दोनों
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