तेरी आँखे मृगनयनी सी।
 मुख छब  अरुणिमा सी
तू चंचल मृग छौने सी
तेरी हर अदा बिजली सी।।

सितारों के पार चलो।
मेरे साथ दिलबर चलो।
आओ कुछ देर चलो।
रंजिश भुला कर चलो।

सर्व स्वीकार कर लिया।
बस तुझको ही वर लिया।
समर्पण तुझको कर दिया।
खुद को तुझे सौंप दिया।।

रतनारी पलकें बुलाती हैं।
रक्तिम कपोल छवि सी हैं।
अधर सम्पुट मोहक से है।
नैन कटार तीखे भेदते हैं।

कमनीय कंचन काया आकर्षक।
घनी कुंतल राशि झूमे अनथक।
अल्हड़ यौवन मन मद मर्दक।
बना तेरा जन्मों से प्रेम पूजक।

चपल चंचल सी मृगनयनी।
बोले मन मोहित मीठी बैनी।
काला तिल आग लगाएं मैनी।
सुंदर,छरहरी तू मेरी सुनैनी।।

कामनाओं का ज्वार भाटा तुम।
सुवासित करती उर आँगन तुम।
स्वर्ण वल्लरी ,सौम्या, स्वप्निल तुम।
मेरे अंगों में मधुर पुलकन बनी तुम।।

Neelam Vyas

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