पावंदी है शुभम तुझे आज भी मुस्कुराने में, कब तक घुट घुट के जिओगे इस जमाने में । सुना है रौशन होगी मुक्कदर खुद को आजमाने में, कितना वक्...
जरूरत नहीं है मुझे किसी की मैं तो बस एक उड़ता बादल हूं बूंद बूंद को खुद में समेटे हुए गागर को सागर बनाने वाला वो हुनर बाज मैं बादल हूं स...
यूँ नज़रें झुकाया न करो, पलको से आँखों को चुराया न करो... अपनी शर्मिली अदाओं से हमे पागल बनाया न करो, सर्द रातो में यूँ ही ओस की बूंद बन...
बदचलन औरत कह कर पुकार रही है मुझे ये दुनियाँ अपनी गन्दी जुबान से मुझे धिक्कार रही है ये दुनियाँ सवाल था मेरी जिन्दगी का फि...
कृष्ण ने बंसी बजा कर, राधा को नचाया है, प्रेम-प्रित की संगम में, राधा को उसने घुमाया है, राश रचा कर राधा संग, दुनियाँ को प्रेम का...
मेरी मोहब्बत का तुझपे असर चाहिए, हर जन्म में हमे तुम सनम चाहिए... मर जाऊँ जो तेरी जुदाई में, तो बस तेरे दुपट्टे की मुझको कफन ...
किसी की यादों में हम नही खोया करते, बच्चों की तरह हम नही रोया करते... टूटे ख़्वाबों को हम नही पिरोया करते, तलब हम खुद का किसी और...
मेरे जिस्म के करीब तुम न आओ, दोस्ती में तुम हवस का जहर न मिलाओ... पढ़े - क्या लिखूं तेरे लिए मैं . . . हमे लगा की हम बस एक अच्छे ...
क्या लिखूं तेरे लिए मैं, तुझ बिन अब कैसे जियूं मैं... पढ़े - डाका पड़ा था कल रात घर मेरे . . . सोचता हूँ एक फरियाद लिखूं मैं, खुदा...
इतना आसन नहीं है मुझे भुल जाना, हमसे दूर होकर कहा जाओगे, जहाँ जाओगे बस हमे ही पाओगे... पढ़े - डाका पड़ा था कल रात घर मेरे . . . य...
ऐ वतन तेरी कसम, तुझे न कभी झुकने देंगे हम... इस देश को कभी भी न टूटने देंगे हम, ऐ वतन तेरी कसम तुझे न कभी मिटने देंगे हम... पढ़े - ...
साथ जो तूने छोरा मेरा, टूट कर मै बिखर जाउंगा... पढ़े - डाका पड़ा था कल रात घर मेरे . . . तेरे बीना ऐ सनम, मै एक पल भी जी न पाउंगा...
उलझी है जो रिश्तो की डोर, उसे जरा सुलझाने तो दिजिये... पढ़े - डाका पड़ा था कल रात घर मेरे . . . रुठा है जो यार हमसे, उन्हे जरा मनाने ...
एक ओर ये तुम्हारी नाराजगी एक छोर पर मेरा इंतजार कि कब कामयाब होंगी कोशिसें मनाने की कि कब बिखरी खामोशी लब्ज ढूंढेगी पढ़े - डाका पड...
डाका पड़ा था कल रात घर मेरे अनमोल सम्पत्ती ले गया वो सवेरे . . . पढ़े - जुल्म क्यों सहती हो तुम . . . रुठ गया मुझसे मेरा साझ-सवेरा...
वर्षा रानी आई है रिम झिम बारिस लायी है सबके मन को हर्षायी है। पढ़े - जुल्म क्यों सहती हो तुम . . . खेत खलिहान सब सुख रहे...
ऐसी भी क्या नाराज़गी, कभी हमसे हमारा हाल तो पूछो, पढ़े - जुल्म क्यों सहती हो तुम . . . मैं कैसे जीता हूँ हर रोज़, कभी ये ...
आज-कल तुम किसके साथ वक्त बिताती हो, क्या मेरी तरह ही उसे भी प्यार का झूठा स्वाद चखाती हो, पढ़े - जुल्म क्यों सहती हो तुम . . . तेरे...
नंदन है अभिनन्दन है चौकीदार के माथे लगा फिर से जित का चंदन है चौकीदार को भगाने खातिर किया था गीदड़ो ने गठबंधन पर उनका गठबं...
जुदा हो गयी है ज़ोया मेरी, कोई मेरे संग दो पल तो बिताओ... पढ़े - महाठगबंधन ! ! ! . . . चौकीदार को भगाने खातिर . . . तन्हा...