आज-कल तुम किसके साथ वक्त बिताती हो,
क्या मेरी तरह ही उसे भी प्यार का झूठा स्वाद चखाती हो,

पढ़े - जुल्म क्यों सहती हो तुम . . .

तेरे संग पूरी जिंदगी बिताउंगी,क्या यही वादा हर किसी के साथ दुहराती हो,
मोहब्ब्त में साथ निभाने का झूठा ख्वाब हर किसी को दिखती हो,

पढ़े - मौत का नज़ारा हमे भी . . .

क्या इश्क के बाज़ार में यूँही तुम बेवफाई का नजारा सबको दिखती हो
दिल पे दस्तक दे के क्या तुम मेरे ही तरह हर किसी के दिल को घायल कर जाती हो,



Shubham Poddar

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