बदचलन औरत कह कर
पुकार रही है मुझे ये दुनियाँ

अपनी गन्दी जुबान से मुझे
धिक्कार रही है ये दुनियाँ

सवाल था मेरी जिन्दगी का
फिर क्यों नंगा नाच रही है ये दुनियाँ

गर्भ में जिसे पाला है मैंने
उसे बेनाम कह रही थी ये दुनियाँ

मोहब्ब्त को गुनाह कह कर
सजा दे रही है क्यों मुझे ये दुनियाँ

Shubham Poddar 


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