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मोहब्बत मे साथ जीने-मरने की, एक रस्म हमे भी अदा करने दिजिये... पढ़े - ऐसी भी क्या नाराज़गी . . . उनके बिना थम चुकी है जिन्दगी मेरी, जरा इस बात का ऐहसास उन्हे भी होने दिजिये...
इश्क अगर गुनाह है, तो ये गुनाह हमे भी करने दिजिये...
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