जरूरत नहीं है मुझे किसी की
मैं तो बस एक उड़ता बादल हूं

बूंद बूंद को खुद में समेटे हुए
गागर को सागर बनाने वाला
वो हुनर बाज मैं बादल हूं

सूर्य सी तपती किरण को
ओझल करने वाला मैं चादर हूं

गौर से देखो मेरी आंखो में
मैं लिए घूमता आंसुओ का सागर हूं

  Shubham Poddar

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