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डाका पड़ा था कल रात घर मेरे
अनमोल सम्पत्ती ले गया वो सवेरे . . .
पढ़े - जुल्म क्यों सहती हो तुम . . .
रुठ गया मुझसे मेरा साझ-सवेरा
अब तो आँगन  से हट गया खुशियों का बसेरा . . .

Shubham Poddar

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