पावंदी है शुभम तुझे आज भी मुस्कुराने में,
कब तक घुट घुट के जिओगे इस जमाने में ।

सुना है रौशन होगी मुक्कदर खुद को आजमाने में,
कितना वक्त लगेगा खुद को इस बात को समझने में।

वो मुझको दग़ा देगा मोहब्बत में,
मैं काबिल हो जाऊंगा किस्मत आजमाने में।

फरेब-ए-मोहब्बत कजरा गई तो क्या होगा
इश्क दिल मे टकरा गई तो क्या होगा

दिल का गम न बताओ शुभम ज़माने को
लोग यहाँ रहेंगे आजमाने को

Shubham Poddar

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