ऐ वतन तेरी कसम,
तुझे न कभी झुकने देंगे हम...

इस देश को कभी भी न टूटने देंगे हम,
ऐ वतन तेरी कसम
तुझे न कभी मिटने देंगे हम...
पढ़े - डाका पड़ा था कल रात घर मेरे . . .
ऐ वतन तेरी कसम
काफिरो के हाथो कभी न तुझे बिकने देंगे हम,
चट्टानों की तरह मरते दम तलक डटे रहेंगे हम...

ऐ वतन तेरी कसम
आवरू को तेरी न कभी लूटने देंगे हम,
पाप की आंधियो से लड़ते रहेंगे हम...
पढ़े - ऐसी भी क्या नाराज़गी . . .
ऐ वतन तेरी कसम
तेरी वजूद को न कभी मिटने देंगे हम...

ऐ वतन तेरी कसम,
तुझे न कभी मिटने देंगे हम...


Shubham Poddar

1 टिप्पणी:

इस पोस्ट पर साझा करें

| Designed by Techie Desk