वर्षा रानी आई है
रिम झिम बारिस लायी है
सबके मन को हर्षायी है।
पढ़े - जुल्म क्यों सहती हो तुम . . .
खेत खलिहान सब सुख रहे थे 
फिर से हरियाली छाई है ।
किसानों के दिलों में
ठंडक फिरसे आई हैं ।
पढ़े - क्या तुम इतने बत्तमीज . . .
मेढक टर्र टर्र करते है
जैसे शहनाइयां बजती हैं ।

बच्चे सरे झूम उठे है
जैसे मोर पंख बलखाती हैं ।
पढ़े - तेरी यादो के बिस्तर . . .
वर्षा रानी आई है
रिम झिम बारिस लायी है
सबके मन को हर्षायी है।


Shubham Poddar

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