किसी की यादों में हम नही खोया करते,
बच्चों की तरह हम नही रोया करते...

टूटे ख़्वाबों को हम नही पिरोया करते,
तलब हम खुद का किसी और को बनाया नही करते...
पढ़े - क्या लिखूं तेरे लिए मैं . . .
हमसे जो दूर हो गया,
उसके बारे में हम नही सोचा करते,
दर्द को हम आसुंओं से नही धोया करते...

अपेच्छाओ की पतवार को
हम जिंदगी की नइयां का खेवइया नही बनाया करते...
पढ़े - ऐ वतन तेरी कसम . . .
दोस्ती में हम किसी को दग़ा दिया नही करते,
दिल दुखाया है जिसने भी मेरा,
हम उससे कभी वफा किया नही करते...

मंजिल अभी बाकि है प्यारे,
यूँ ही बेतहास हम हुआ नही करते...

Shubham Poddar

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस पोस्ट पर साझा करें

| Designed by Techie Desk