ऐसी भी क्या नाराज़गी,
मैं कैसे जीता हूँ हर रोज़,
कभी ये सवाल तो पूछो,
मिलो कभी फुर्सत में तुम हमसे,
जल कर,बुझ कर राख बन कर भी,
तुझ जैसे यार की मुझे याद आनी है,
Shubham Poddar
Shubham Poddar
Waah waah kya kahne👌👌👌
जवाब देंहटाएंPerfect one.!!!
जवाब देंहटाएंThanku so much
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