हर रोज क्यों लोग शादाब सज्र काटते है, इस दौर में लोग घर में भी घर काटते है। बदजुवानों का बढ़ गया रुतबा भी इस क़द्र, भाई ...
ये परिंदें उड़ान नहीं छोड़ेंगे, थक जाएंगे आसमान नही छोड़ेंगे। अपने रब पर गुमान नही छोड़ेंगे, मरते दम तक दामने ईमान नहीं छोड़ेंगे। मुफल...
*** अच्छा नही झूठी शान, तेज रफ्तार में आना, बेरोजगारी दूर करो, नही तो बेहतर नही सरकार में आना। फक्र होता है हमको भी, सरे-महफिल दस्तार मे...
अब हम भी कुछ जरा बेहतर लिखते है, तभी तो सोने को पीतल, मोम को पत्थर लिखते है। फरेब, मक्कारी, साजिश होती रहती है, तभी तो हम हाथो में उसके ...
*अपनी चाहतों को हम कभी बेशुमार नहीं करते,* सियासत के प्यादो का हम ऐतबार नही करते। *सच है हम अमन पसंद इंसान हैं,* फरेब देकर किस...
जुल्म बढ़ेगा ईमान में ख़यानत आएगी, तभी तो दुनिया में कयामत आएगी। जुबानों में कड़वाहट लहजों में सख्ती, बेईमानों में बहुत दिखावत आएगी। खु...
हमें सरफिरो से कभी मुहब्बत नही होती, सच है बुजदिलों से कभी बगावत नही होती। मंचों के सौदागर से मेरी तिजारत नही होती, चमन नही उजड़ता तो सि...
अब ज़रूरत ही नहीं हम तेरे घर आए, तेरे गुनाहों के इल्ज़ाम मेरे ही सर आए। ज़मीं मिली तो खेती फूलों की करेंगे हम, संगतराश बनेंगे जो हि...
फूलों की वादियों में आग का दरिया देख रहा हूं, इस दौरे हुक्मरानी में मैं क्या-क्या देख रहा हूं। इतने आलीशान मंदिर, मस्ज़िद, गिरजा देख रह...
लुटती रही अस्मत भर्ती रही कोई सिसकियां, जहानो दिलों पे गिरती रही पल-पल बिजलियां। उस मासूम कली की खताए क्या थी या रब...
इस दौर में सब चारदीवारी चाहते है , बुजदिल लोग अब सरदारी चाहते है । जाने कितने ताज है हमारी ठोकरों में , झूठी खबरें शोहरत अख़बारी चाहते ...
शरीफ लोगों से कभी सियासत नहीं होती, तभी तो जुल्म के खिलाफ बगावत नहीं होती। पाक़ीज़ा लहज़ा, पाकीजा ही रहता है, सच्चे लोगों में दिखावत ...
जुल्म बढेगा ईमान में ख़यानत आएगी, तभी तो दुनियां में क़यामत आएगी। जुवानों में कड़वाहट लहजो में सख्ती, बेईमानों में बहुत दिखावत आएगी।...
होती नहीं इज्जत जिनसे मां-बाप की, खुद की औलाद से तो उम्मीदें वफ़ा न रख। जन्नत तो खो दी तूने मां को रुला के, रूठ गए जो जमी के ख़...
सर का ताज, बेहतर तक़दीर कहते हैं, कुछ लोग इसे तो अपनी जागीर कहते हैं। किस जलते दिल को मेरे तुम क्या . . . जाफरानी बाग, जन्नत की ...
वो मुझसे मिलकर हमेशा क्यों बेखबर होती है, जब से देखा है उसको हर ग़ज़ल बेबहर होती हैं। इबादत में असर पैदा करो . . . सैयाद से करते ...
कोई कहे हिंदू,कोई मुसलमान कहते हैं, तुम क्या हो ये तुम्हारे ईमान कहते हैं । एहतराम करो बुजुर्गों का अपने तुम, यही तो पुरुषोत्...
* शोहरत पे कोई क्या अहले कलम को ले जाएंगे, अपने हुनर से वो खुद बुलंदी पे चले जाएंगे। * कलम ख़ुद वाले खुद चले जो मैं सरे दस्तार में ...
लुटती रही अस्मत भरती रही कोई सिसकियां, जहनों दिल पर गिरती रही पल-पल बिजलि। पढ़े - इबादत में असर पैदा करो . . . उस मासूम कली की खता...
हवाओं को मैने कहानी सुना दी, बड़े शौक से अपनी दुनियाँ लुटा दी, पढ़े - इबादत में असर पैदा करो . . . जिसे पहली फुर्सत में मैनें दुआ ...