ये परिंदें . . .

ये परिंदें उड़ान नहीं छोड़ेंगे, थक जाएंगे आसमान नही छोड़ेंगे। अपने रब पर गुमान नही छोड़ेंगे, मरते दम तक दामने ईमान नहीं छोड़ेंगे। मुफल...
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अब हम भी कुछ जरा . . .

अब हम भी कुछ जरा बेहतर लिखते है, तभी तो सोने को पीतल, मोम को पत्थर लिखते है। फरेब, मक्कारी, साजिश होती रहती है, तभी तो हम हाथो में उसके ...
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ग़ज़ल

*अपनी चाहतों को हम कभी बेशुमार नहीं करते,*  सियासत के प्यादो का हम ऐतबार नही करते।  *सच है हम अमन पसंद इंसान हैं,*  फरेब देकर किस...
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आसारे क़यामत . . .

जुल्म बढ़ेगा ईमान में ख़यानत आएगी, तभी तो दुनिया में कयामत आएगी। जुबानों में कड़वाहट लहजों में सख्ती,  बेईमानों में बहुत दिखावत आएगी। खु...
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हमें सरफिरो से कभी . . .

हमें सरफिरो से कभी मुहब्बत नही होती, सच है बुजदिलों से कभी बगावत नही होती। मंचों के सौदागर से मेरी तिजारत नही होती, चमन नही उजड़ता तो सि...
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इस दौर में सब . . .

इस दौर में सब चारदीवारी चाहते है , बुजदिल लोग अब सरदारी चाहते है । जाने कितने ताज है हमारी ठोकरों में , झूठी खबरें शोहरत अख़बारी चाहते ...
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लुटती रही अस्मत . . .

लुटती रही अस्मत भरती रही कोई सिसकियां, जहनों दिल पर गिरती रही पल-पल बिजलि। पढ़े - इबादत में असर पैदा करो . . . उस मासूम कली की खता...
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