वो मुझसे मिलकर हमेशा क्यों बेखबर होती है,
जब से देखा है उसको हर ग़ज़ल बेबहर होती हैं।
इबादत में असर पैदा करो . . .
सैयाद से करते हो क्यों फरियाद रहम कि,
जिनके जानीब हर दुआ बेअसर होती है।

कारनामे हो जिस शख़्स के हैरत अंग्रेज़,
तमाम अख़बारों में उसी की खबर होती हैं।
नहीं पेट भरता महज . . .
खुदा ने बख्शी हो जिसे सीरत अच्छी,
सितारों की भी उसी पे नज़र होती है।

क़त्ल करने की कोशिश में कातिल रहा है नाकाम अक्सर,
समुंद्र ख़ामोश, बेलगाम अक्सर बहती नहर होती हैं।

Shahrukh Moin

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