लुटती रही अस्मत भर्ती रही कोई सिसकियां,
जहानो दिलों पे गिरती रही पल-पल बिजलियां।
उस मासूम कली की खताए क्या थी या रब,
चमन उजड़ता रहा मरती रही तितलियां।
मूरत बन भगवान, खरे रहे मौन जब,
मसली जाती रही हैवानों से कलियां।
चीखी, चिल्लाई, रोई और वह गिरगिराई,
बहरे हो गए मूरत सारे, खूब चीखी तन्हाईयां।
इस देश में तेरा आना लाडो दुश्वार हुआ,
चीख चीख के कहती है कहानी पुरवाईया।
गुड्डे, गुड़ियों से खेलने वाले बचपन का हाल,
कब तक बेटियों से होती रहेगी रुसवाईयां।
सरीयत के कानून का, हो अगर ऐहतराम जो,
उजड़ कर तबाह हो जाएगी, गुनाहों की बस्तियां।
मुहाफिज ही बन गए देखो कातिल शाहरुख़,
अदालत में दफन होकर रह गई, जाने कितनी कहानियां।
Shahrukh Moin
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