कुछ तो खुशी दो . . .
दूर होकर भी तुम कितने
मेरे दिल के करीब हो।
तुम मेरे लिए एक दोस्त से
कुछ ज्यादा मेरे लिए हो।
तो क्या मेरी तमन्ना तुम
पूरी नहीं कर सकते।
और चाहने वाले को क्या
अपना दिल नहीं दे सकते।।
जिक्र दोस्ती का करते है
तब तब तुम्हें याद करते है।
अच्छे हो या बुरे हो तुम पर
मेरे दिलके बहुत करीब हो।
इसलिए कैसे भूल सकते है
अपने जीते जी तुम्हें दोस्त।
जब भी तुम नाराज हुए होंगे
उसमें खता मेरी ही रही होगी।।
प्यार मोहब्बत जिंदगी के लिए
दोस्त बहुत जरूरी है।
पर क्या दोस्त का कोई
फर्ज दोस्ती के लिए नहीं है।
जो अपने दोस्त को थोड़ी
खुशी इस जिंदगी में दे सके।
और अपने प्यार की रहमत
अपने मित्र पर बरसा सके।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें