इस दौर में सब चारदीवारी चाहते है ,
बुजदिल लोग अब सरदारी चाहते है ।

जाने कितने ताज है हमारी ठोकरों में ,
झूठी खबरें शोहरत अख़बारी चाहते है।

मुस्कुराते चेहरे दिखते है उदास क्यों ,
कुछ लोग तो अपनी तरफदारी चाहते है।

जब कुछ हमारे दिल में चलने लगता है,
वह क्यो सोच के इतना जलने लगता है।

ऊंचे ख्याल ने मिटा डाली है सारी विरासत,
पुरे ना हो अगर शौक तो मचलने लगता है।

तस्वीर धुंधली दिखती है तो दिल में झांक,
पागल शख्स तमाम आईना को बदलने लगता है।

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