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लुटती रही अस्मत भरती रही कोई सिसकियां, जहनों दिल पर गिरती रही पल-पल बिजलि। पढ़े - इबादत में असर पैदा करो . . . उस मासूम कली की खताए क्या थी या रब , चमन उजरता रहा मरती रही तितलियां।
मूरत बन भगवान खरे रहे मोन जब, मसली जाती रही है हैवानों से कलियां। पढ़े - नहीं पेट भरता महज . . . चिखी चिल्लाई रोई और वह गिरगिरई, बहरे हो गए मूरत सारे खुब चिखी तन्हाइयां।
इस देश में तेरा आना लाडो दुश्वार हुआ, चिख चिख के कहती है कहानी पुरवाईया। पढ़े - महिखाने सी भरी हुई है . . . गुड्डे गुड़ियो से खेलने वाले बचपन का हाल, कब तक बेटियो से होती रहेगी रुसवाईयां।
शरीयत के कानून का हो अगर ऐहतराम जो, उजर कर तबाह हो जाएगी गुनाहों की बस्तियां। पढ़े - प्यार में . . . मुहाफिज ही बन गए देखो कातिल शाहरुख , अदालत में दफन होकर रह गई जाने कितनी कहानियां।
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