जुल्म बढेगा ईमान में ख़यानत आएगी,
तभी तो दुनियां में क़यामत आएगी।

जुवानों में कड़वाहट लहजो में सख्ती,
बेईमानों में बहुत दिखावत आएगी।

खुशियों के दीप बुझाने वाले पैदा होंगे,
पढ़े-लिखे में भी ज़हालत आएगी।

जो रब खफा होगा तो बदलेगी सूरत,
ख़ामोश लहजों में भी बगावत आएगी।

ज़ुल्म बढेगा ग़रीबों, बेजुबानों,पर
इन्सानों के लहजे में अदावत आएगी।

सरियत से बेहतर, है नहीं कानून कोई,
रस्ते में मेरे हर रोज सियासत आएगी।

कांटे भी चुभते है अकसर गुलाबों को,
कातिल बना के बीच में अदालत आएगी।

शाहरुख़ दागदार है गिरेबा अपना भी,
शर्मसार होगी इंसानियत, ऐसी दिखावत आएगी।

Shahrukh Moin

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