हमें सरफिरो से कभी मुहब्बत नही होती,
सच है बुजदिलों से कभी बगावत नही होती।

मंचों के सौदागर से मेरी तिजारत नही होती,
चमन नही उजड़ता तो सियासत नही होती।

कशमकश में क्यों उलझे हो तुम शहर में,
गांव चलो वहां कभी नफरत नहीं होती।

दिल के अमीर है सादगी भरे वो लोग,
लाख झगड़े है मगर किसी की शिकायत नहीं होती।

शहर सुनसान होता, जो फिक्र मालो दौलत की नही होती,
सुने गांव होते, जो विरासत बयाने की रिवायत नही होती।

इस मुल्क की नुमाइश आप ही करेंगे,
कामयाब  वहीं है शाहरुख़ जिसमें दिखावत नहीं होती।

Shahrukh Moin

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