धमर्मन्थ सब जला चुकी है,जिसके अंतर की ज्वाला, मंदिर, मसजिद, गिरजे, सब को तोड़ चुका जो मतवाला, पंडित, मोमिन, पादरियों के फंदों...
बहती हाला देखी, देखो लपट उठाती अब हाला, देखो प्याला अब छते ही होंठ जला देनेवाूला, 'होंठ नहीं, सब देह दहे, पर पीने को दो बूंद ि...
जगती की शीतल हाला सी पिथक, नहीं मेरी हाला, जगती के ठंडे प्याले सा पिथक, नहीं मेरा प्याला, ज्वाल सुरा जलते प्याले में दग्ध हृदय...
लाल सुरा की धार लपट सी कह न इसे देना ज्वाला, फेिनल मिदरा है, मत इसको कह देना उर का छाला, ददर् नशा है इस मिदरा का िवगत ःमृितया...
जगती की शीतल हाला सी पिथक, नहीं मेरी हाला, जगती के ठंडे प्याले सा पिथक, नहीं मेरा प्याला, ज्वाल सुरा जलते प्याले में दग्ध हृदय की ...
धमर्मन्थ सब जला चुकी है, िजसके अंतर की ज्वाला, मंिदर, मसिजद, िगिरजे, सब को तोड़ चुका जो मतवाला, पंिडत, मोिमन, पािदरयों के फंदों को जो...
बहती हाला देखी, देखो लपट उठाती अब हाला, देखो प्याला अब छते ही होंठ जला देनेवाूला, 'होंठ नहीं, सब देह दहे, पर पीने को दो बूंद िम...
हाथों में आने से पहले नाज़ दिखाएगा प्याला, अधरों पर आने से पहले अदा दिखाएगी हाला, बहतेरे इनकार करेगा साुकी आने से पहले, पिथक,...
महेंदी रंजीत मृदुल हैथली पर मानिक मधु का प्याला, अनंगुरी अवगुठन डेल स्वर्ण वरन साकिबाला, पग बैजिनी, जामा निला डाट डटे पीनेवाला...
जलतरंग बजता, जब चुंबन करता प्याले को प्याला, वीणा झंकृत होती, चलती जब रूनझुन साकीबाला, डाँट डपट मधुिवबेता की ध्विनत पखावज ...
सुन कलकल छलकल मधुघट से गिरती प्यालों में हाला, सुन, रूनझुन रूनझुन चल वितरण करती मधु साकीबाला, बस आ पहंचेु, दर नहीं कुछु, चार ...
मदिरा पीने की अभिलाषा ही बन जाए जब हाला, अधरों की आतुरता में ही जब आभािसत हो प्याला, बने ध्यान ही करते-करते जब साकी साकार, स...
मधुशाला मुख से तूअिवरत कहता जा मधु, मिदरा, मादक हाला, हाथों में अनुभव करता जा एक लिलत किल्पत प्याला, ध्यान िकए जा मन में ...
मधुशाला चलने ही चलने में िकतना जीवन, हाय, िबता डाला! 'दरू अभी है', पर, कहता है हर पथ बतलानेवाला, िहम्मत हैन बढू ...
मधुशाला मिदरालय जाने को घर से चलता हैपीनेवला, 'िकस पथ से जाऊँ?' असमंजस में हैवह भोलाभाला, अलग-अलग पथ बतलाते सब पर...
मधुशाला मधुर भावनाओं की सुमधुर िनत्य बनाता हँूहाला, भरता हँूइस मधुसे अपने अंतर का प्यासा प्याला, उठा कल्पना के हाथों से ः...
मधुशाला भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला, किव साकी बनकर आया हैभरकर किवता का प्याला, कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए...
मधुशाला, िूयतम, तूमेरी हाला है, मैंतेरा प्यासा प्याला, अपने को मुझमें भरकर तूबनता हैपीनेवाला, मैंतुझको छक छलका करता, मःत मुझे ...
मधुशाला, प्यास तुझे तो, िवश्व तपाकर पूणर् िनकालगा ूँ हाला, एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला, जीवन की मधुता तो ...
मधुशाला मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, िूयतम, अपने ही हाथों से आज िपलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँतेरा िफर ूसाद ज...