जगती की शीतल हाला सी पिथक, नहीं मेरी हाला,
जगती के ठंडे प्याले सा पिथक, नहीं मेरा प्याला,
ज्वाल सुरा जलते प्याले में दग्ध हृदय की किवता है,
जलने से भयभीत न जो हो, आए मेरी मधुशाला।।१५।
जगती के ठंडे प्याले सा पिथक, नहीं मेरा प्याला,
जलने से भयभीत न जो हो, आए मेरी मधुशाला।।१५।
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