जलतरंग बजता, जब चुंबन करता प्याले को प्याला, 


वीणा झंकृत होती, चलती जब रूनझुन साकीबाला, 


डाँट डपट मधुिवबेता की ध्विनत पखावज करती है, 


मधुरव से मधु की मादकता और बढ़ाती मधुशाला।।११।

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