मधुशाला


मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,


 िूयतम, अपने ही हाथों से आज िपलाऊँगा प्याला, 


पहले भोग लगा लूँतेरा िफर ूसाद जग पाएगा, 


सबसे पहले तेरा ःवागत करती मेरी मधुशाला।।१। 


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