धमर्मन्थ सब जला चुकी है,जिसके अंतर की ज्वाला,


मंदिर, मसजिद, गिरजे, सब को तोड़ चुका जो मतवाला,


पंडित, मोमिन,

पादरियों के फंदों को जो काट चुका,


कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला।।१७।

Harivansh Rai Bachchan

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