मदिरा पीने की अभिलाषा ही बन जाए जब हाला, 

अधरों की आतुरता में ही जब आभािसत हो प्याला, 

बने ध्यान ही करते-करते जब साकी साकार, सखे, 

रहे न हाला, प्याला, साकी, तुझे िमलेगी मधुशाला।।९।

हरिवंश  राय  बच्चन

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