hrb

बहती हाला देखी, देखो लपट उठाती अब हाला,
देखो प्याला अब छते ही होंठ जला देनेवाूला,
'होंठ नहीं, सब देह दहे, पर पीने को दो बूंद िमले'
ऐसे मधु के दीवानों को आज बुलाती मधुशाला।।१६।

Baheti

Harivansh Rai Bachchan

इस पोस्ट पर साझा करें

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

| Designed by Techie Desk