समझते थे जिसे अपना

समझते थे जिसे अपना पराया उसको पाया है समझना चाहते थे कुछ समझ कुछ और आया है। ये दुनिया जैसी दिखती है मगर ऐसी नही है ये धोखे खा ...
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लज्जा ....

लज्जा केवल नारी के ही हिस्से में क्यूँकर आईं है पुरुष की आंखे गिद्ध के जैसी नारी पर ललचाई हैं क्या पौरुष के अहम के खातिर न...
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एक मां की पीड़ा . . .

कई वर्ष बीत गये हैं लेकिन अब तक लौट कर नही आया वो बेटा जो कहीं चला गया था कई वर्ष बीत गये हैं लेकिन पढ़े - दोस्त कहाँ सच्चे मिलते...
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