Read A Poetry - We are Multilingual Publishing Website, Currently Publishing in Sanskrit, Hindi, English, Gujarati, Bengali, Malayalam, Marathi, Tamil, Telugu, Urdu, Punjabi and Counting . . .
ये मोहब्बत है इसमे मेल कहाँ मैं कहाँ और तेरा ख्वाब कहाँ।
इक दिया ही बड़ी मुश्किल से मिला हैं मेरे दामन में आफताब कहाँ। समझते थे जिसे अपना . . . दर्द ही दर्द मिले हैं हमको जीवन में रखेंगे कितना हम भला हिसाब कहाँ।
जो अपने थे पराये से नज़र आने लगे इस शहर में किससे करेंगे आदाब कहाँ। दोस्त कहाँ सच्चे मिलते है . . . नशा देखते ही हो जाये इतना भी नही है वो और दिन थे रहे नही अब शबाब कहाँ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें