लहजा गर अच्छा हो सूरत भा ही जाती है
धीरे धीरे यार नज़ाकत आ ही जाती है।
दोस्त कहाँ सच्चे मिलते है . . .
दिल से निभाई जाती है जब ये मोहब्बत तो
खुद ब खुद उसमें भी इबादत आ ही जाती है।

कितना ही कोई झूठ संभाले आखिर इक दिन तो
झूठ रौंद कर यार हकीकत आ ही जाती है।
समझते थे जिसे अपना . . .
मुझको सिखाया गया प्यार का सबक मगर सुनलो
नफरत का हो शहर बगावत आ ही जाती है।

घर में बुजुर्गों का साया खुदा की दौलत होती है
बिछड़ते हैं जब रिश्ते अहमियत आ ही जाती है।
एक विडम्बना ही है . . .
बेपरवाही भली नही हर हाल में खतरा है वानी
आफत में हो जान हिफाजत आ ही जाती है।

Vani Agarwal

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