मेरे ख्वाबों में ये किसका चेहरा है, यहां इश्क पर किसका पहरा है। आंखें हैं या नीला समन्दर हैं, जो भी हैं लेकिन इनमें राज़ गहरा है। ...
मिले किसी से नज़र तो समझो ग़ज़ल हुई । रहे अपनी ख़बर तो समझो ग़ज़ल हुई ।। मिला के नज़रों को वो हया से फिर, झुका ले कोई नज़र तो समझो ग़ज़...
हमारे दिल में उसने मोहब्बत की आग जला दिया, पर वो किसी और से मिलना चाहती थी तो हमने हंसते हुए उसे मिला दिया। क्या करें? दर्द का गुब...
जुल्म बढ़ेगा ईमान में ख़यानत आएगी, तभी तो दुनिया में कयामत आएगी। जुबानों में कड़वाहट लहजों में सख्ती, बेईमानों में बहुत दिखावत आएगी। खु...
हमें सरफिरो से कभी मुहब्बत नही होती, सच है बुजदिलों से कभी बगावत नही होती। मंचों के सौदागर से मेरी तिजारत नही होती, चमन नही उजड़ता तो सि...
मोदी जी की बातों का अक्षरशः करो पालन तुम। सच्चे अर्थों में ऐसे ही देश प्रेम को निभाओ तुम। एक पॉजिटिव ले मरेगा सौ लोगो को ये मानो तुम। को...
कोरोना के भय ग्रस्त माहौल में निकली खुशी की तलाश में। खुशी कई दिनों से मानो खो चुकी मन की निराशा में। इक्कीस दिन घर बैठे रहेंगे कैसे ,म...
हृदय पटल पर मच रही उदगारों की घमासान। नए नए विचार बने मन मानस के मेहमान। विकलता प्रेरित कर रही नव उन्मेष का उनमान। तब ही विकसी मन में क...
दो रास्ते हैं जिंदगी के ,लड़ो या मरो। समस्याओं को हावी होने दो या युद्ध करो। लाचार बन बैठा जाओ या सतत कर्म साधना करो। हताश होकर भुगतो या ...
कलयुगी चुनौती वायरस है कोरोना। डरो नहीं इससे तुम सजग रह लड़ो ना। हर युग की समस्याओं का किया डटकर सामना। आज इस बीमारी का मुकाबला हिम्मत से...
भारतीय संस्कृति का मूल आधार धर्म ,कल्याण और परोपकार। ऋषि मुनि ने अमूल्य ग्रन्थ लिखे मानव हित जो सिखाते परोपकार। दधीचि ऋषि ने हड्डियां दा...
तेरी आवाज सुन धड़कन मेरी बढ़ जाती है। नस नस में ,लहू की रवानी में आवाज गूँजती है। उफ़्फ़ वो तेरी गहरी गहरी सी मदहोश करती है। सर्वांग सुलग ज...
हर रोज क्यों लोग शादाब सजर काटते हैं, इस दौर में लोग घर में ही घर काटते हैं। बदजुबानो का बढ़ गया रुतबा भी इस क़दर, भाई भी अब सगे भाई का...
मिले ईमान से जो भी हमें उसे हम थाम लेते हैं निवाला जब भी लेते हैं खुदा का नाम लेते हैं। ये दुनिया है यहां हमदर्द थोड़ा कम ही मिलते ह...
अब ज़रूरत ही नहीं हम तेरे घर आए, तेरे गुनाहों के इल्ज़ाम मेरे ही सर आए। ज़मीं मिली तो खेती फूलों की करेंगे हम, संगतराश बनेंगे जो हि...
फूलों की वादियों में आग का दरिया देख रहा हूं, इस दौरे हुक्मरानी में मैं क्या-क्या देख रहा हूं। इतने आलीशान मंदिर, मस्ज़िद, गिरजा देख रह...
लुटती रही अस्मत भर्ती रही कोई सिसकियां, जहानो दिलों पे गिरती रही पल-पल बिजलियां। उस मासूम कली की खताए क्या थी या रब...
पावंदी है शुभम तुझे आज भी मुस्कुराने में, कब तक घुट घुट के जिओगे इस जमाने में । सुना है रौशन होगी मुक्कदर खुद को आजमाने में, कितना वक्...
हर किसी के जहन में तुम्हारा मुकद्दर नही होता दरिया का लहर सब समंदर नही होता होती है अब तो हर रोज सभाएं अब उसके यहां कोई स्वयंवर नही हो...
शरीफ लोगों से कभी सियासत नहीं होती, तभी तो जुल्म के खिलाफ बगावत नहीं होती। पाक़ीज़ा लहज़ा, पाकीजा ही रहता है, सच्चे लोगों में दिखावत ...