भारतीय संस्कृति का मूल आधार धर्म ,कल्याण और परोपकार।
ऋषि मुनि ने अमूल्य ग्रन्थ लिखे मानव हित जो सिखाते परोपकार।

दधीचि ऋषि ने हड्डियां दान की ,शिबि राजा ने कबूतर का परोपकार।
वेदों उपनिषदों, पुराण की रचना की मानव ज्ञान ,संस्कार सीखे परोपकार।

रामराज्य में प्रजा सुखी,सभी के लिए राम बाण था परोपकार।
सभ्यता के विकास से अद्यतन मानव समाज ने निभाया परोपकार।

वृक्ष ,नदियां, वनस्पति जीवन जीते सहर्ष मानव का कर परोपकार।
सूरज ,चाँद ,सितारे जीते मानव सभ्यता के हेतु कर परोपकार।

तजो स्वार्थ,लोभ,काला बाजारी, मानव तू कर बस परोपकार।
हर युग मे प्रभावी रहा जीवन का मूल मंत्र परोपकार।

आज भी बहुत जरूरी मानव तू कर सबका परोपकार।
पशु पक्षी,गरीब ,असहाय सबके हित कर मानव परोपकार।

दवा,भोजन ,पानी  का सहर्ष दान कर करो तुम परोपकार।
पाप के बोझ से त्रस्त धरा के परित्राण हेतु मानव करो परोपकार।

झूठ ,कपट ,बेईमानी तजो,हिंसा,अन्याय तज करो परोपकार।
नारी की मर्यादा  कलंकित न करो , करो नारी वर्ग पर उपकार।

धरती कराह रही पाप के बोझ से रे मानव अब भी अपनालो परोपकार।
धर्म ,जाति, भेदभाव तज करो हर  दीन दुखी,जरूरत मन्द पर उपकार।

दिया लिया,दान धर्म  ओ साथ जाएगा मात्र किया जो परोपकार।
  बाकी सब यही छूट जाएगा रे मन अब भी कर मन स्वच्छ  अपना परोपकार।

सच्ची दुआ मिलती,आशीष मिलेगी गर अपनाओ तुम परोपकार।
सच्ची आत्म संतुष्टि ,सुख मिलता रे मानव अपनाओ परोपकार।

दमन करो स्वार्थ का, दामन भरो दुआओं से कर परोपकार।
गरीब की दुआ दे फलोगे फलोगे तुम जो करोगे परोपकार।

Neelam Vyas

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