कोरोना के भय ग्रस्त  माहौल में निकली खुशी की तलाश में।
खुशी कई दिनों से मानो खो चुकी मन की निराशा में।

इक्कीस दिन घर बैठे रहेंगे कैसे ,मन उलझा इसी सवाल में।
चिंतन ,मनन किया बहुत खुशी की तलाश में।

सकारात्मक व्यवहार,सोच अपना जीवंत वातावरण बनाओ।
रिश्तों को वक्त,मान ,तवज्जों दो गर खुशी की तलाश करो।

घर भर की सफाई करो,शुद्धता को विकसाओ नव रात्र को मनाओ।
व्रत ,पूजा पाठ,जपमाला कर अन्तर्मन को जगाओ।

मन का कलुष ,पाप मिटाओ ,सप्तशती का पाठ करो।
धर्म ,अध्यात्म ,अपना मन की खुशी को तलाशो।

बूढ़े बुजुर्गों की सेवा करो,दो वक्त उन्हें ,सम्मान दो।
ढलती उम्र की समस्या समझो ,बड़ो से प्रेमिल व्यवहार करो।

जीवन साथी की अनकही सुनो,उसके मन की करो।
उलझे रिश्तों को सुलझाओ ,जीभर उनको वक्त दो।

बच्चों के साथ वक्त बिताओ,उनकी समस्याओं को सुनो।
उचित मार्गदर्शन दो उन्हें, मन के अनकहे भाव जानो।

नहीं जाना बाहर कही के
घर मे ही खुशी तलाशो।

रिश्तों की बगिया सँवारो ,सबकी खुशी में खुशी तलाशो।
ज्यादा  भोजन बना गायो ,कुत्तों को भी खिलाओ।

आस पड़ोस के भूखों ,गरीबों का तुम पेट भरो।
अन्न  दान,दवाई दान कर मानवतावादी बनो।
खुशियां बांटो तो न भटकना पड़े खुशी की तलाश में।

योग ,व्यायाम करो,प्रार्थना ,नियम से तुम नित करो।
दिन चर्या को व्यवस्थित कर बोरियत को दूर भगाओ।

श्रद्धा सबुरी को अपनाओ ,काला बाजारी ,जमाखोरी मिटाओ।
सदाचार,नैतिकता ,धर्म ,दया कल्याण कर खुशी तलाशो।

कुछ रचनात्मक काम करो ,घर बैठे जीवन कर्मठ बनाओ।
प्रभु नाम की माला जपो,जगत कल्याण हेतु घर मे रहो।

न भटकों बाहर ,बाजार में खुशियों की तलाश में।
घर में ही रहकर  संक्रमण की  चैन तोड़ो,अनुशासन में रहो।

न भटकों बाहर स्वार्थी बन,घर पर ही रहकर खुशियों को तलाशो।
रे मानव,धैर्यवान बन घर में सुरक्षित रहो, न भटकों ।

सुकून ,शांति,मिलेगी घर पर अपनों के ही बीच तुम्हें।
 सबकी खुशियों में खुश रहो न भटकों तुम खुशी की तलाश में।

Neelam Vyas

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