हृदय पटल पर मच रही उदगारों की घमासान।
नए नए विचार बने मन मानस के मेहमान।

विकलता प्रेरित कर रही नव उन्मेष का उनमान।
तब ही विकसी मन  में कविता का नव  उत्थान।

जब हुआ मन व्याकुल जन्मीं तब कविताएं कर गान।
जब खुशी से आप्लावित हुआ मन कविताओं का गूंजा गान।

कुछ चुभ गया मन में ,उभरती गयी कविता की उफ़ान।
मन मचल रहा कुछ अभिव्यक्ति को ,रह रह करता गान।

भाव भरे अन्तस् को मुखरित करती कविता ले प्रमाण।
हर बोल ,हर शब्द जो प्रेरक है उस पर मुझे अभिमान।

कविता मेरी माँ है,  दुखी मन को  देती आँचल की मचान।
कविता पिता सी विशाल ,उदार जो विपदा ,में लेती मुझे थाम।

सुकून मिलता गजब का,थकी हारी करती मैं कविता की गोद  में विश्राम।
पीड़ा व्यक्त कर सारी मन हल्का हो पाता कवयित्री का नाम।

सारी दुनिया से  रुठ कर आती कविता तेरी  गोद  पाने आराम।
गहन विश्रांति के पल हर लेते कलुषित मन तन प्राण।

ओ कविता,मैं मानस पुत्री  तेरी,दिया विदुषी का सम्मान।
मुझ अनगढ़ को बना दिया दिव्य भावों का धाम।

दुलार दिया,लाड़ दिया,मिला ढेरो सम्मान  ओ कविता।
जीवन भर देना सम्बल ओ कविता तो ईश्वर का मुझ पर वरदान

सोच दी ,समझ दी ,दिव्य दृष्टि का मिला वरदगान।
दृष्टा ओ सृष्टा बनाकर कविता ने दिया ब्रह्मा का फलदान।

प्रज्ञा  चक्षु धन्य हुए,पा दिव्यता का अभूतपूर्व परिमाण।
ओ कविता,,तू मेरी जान ,मेरी आत्मा,मेरे होने का प्रमाण।

Neelam Vyas

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