तेरी आवाज सुन धड़कन मेरी बढ़ जाती है।
नस  नस में ,लहू की रवानी में आवाज गूँजती है।

उफ़्फ़ वो तेरी गहरी गहरी सी मदहोश करती है।
सर्वांग सुलग जाए आवाज ऐसा असर करती है।

सुनो मुझे इश्क हुआ सच मे तेरी आवाज से जो अलख जगाती  है।
सांस सांस में ,रोम रोम में अब प्रियतम तेरी आवाज खनकती है।

जब से सुनी मैने  ठहरी ,गहरी आवाज,सुकूँ दिलाने लगती है।
मेरे मेहबूब तेरी आवाज मयकशी का नशा  सा देती है।

दिल की आवाज सुनो हमदम ,कुछ इल्तज़ा  करती है।
दूर दूर रह सुनेंगें केवल  आवाज,नैनो की कोर पूछती है।

सिर्फ आवाज सुन बेइंतहा इश्क होता है, ये बात  सच लगती है।
तेरी  आवाज सादगी भरी लगती है, तेरे जमाल की खूबी कहती है।

मन की आवाज सुनने की इच्छा है ,लग सीने से रोज सुनती तो  है।
खामोश धड़कनों की आवाज बुलंद हैं जो तुझ पर ही मरती है।

Neelam Vyas


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