आख़िरी मुलाक़ात . . .

आख़िरी मुलाक़ात। ता उम्र साथ रहो हमने कहाँ इतना मांगा है? बस एक आख़िरी मुलाकात ही सही मुकम्मल कर दो ना। क्यों तू आज खुदा बन बैठा है? ता उ...
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गाँव के सड़कें . . .

  मुझे मेरे गाँव की सड़के ना जाने क्यों? अच्छी लगती है। आढी-टेढी हो कर मेरे घर को निकलती है। मुझे मेरे गाँव की सड़कें ना जाने क्यों?  पसन्द पड़...
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जिस देश में निर्भया जैसी बेटी को वर्षों से न्याय नहीं मिला उस देश में महिला दिवस मनाया जाना उचित है क्या ?

जिस देश में निर्भया जैसी बेटी को वर्षों से न्याय नहीं मिला उस देश में  महिला दिवस मनाया जाना उचित है क्या? जिस देश में अक्सर ही बे...
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आज फिर से वो माह . . .

आज फिर से वो माह आ गया है। वो पल आ गया है,वो काली रात आ गई है। वो बिलखती सामो का गीत आ गया है तिरंगे में लिपटा मित आ गया है। गुल...
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