आज फिर ना जाने कौन सा बवंडर लेकर आएगा।

याद है मुझे पिछली बार मेरे हिज़्र  बहा कर ले गया 

इस बार ना जाने क्या लेकर जाएगा।

हालांकि कुछ खोने को बचा नही है सिवाए मेरे हक को 

अब डर सा है वो खुबशुरत दूफन मेरी महबूब को चुरा कर ना ले जाये।

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