Read A Poetry - We are Multilingual Publishing Website, Currently Publishing in Sanskrit, Hindi, English, Gujarati, Bengali, Malayalam, Marathi, Tamil, Telugu, Urdu, Punjabi and Counting . . .
हमने देखा है रिश्तों को बिलाप होते। हमने देखा है एक मर्द को भी ना मर्दगी से रोते। ये रिश्ते है साहब यहाँ एक दूसरे के लिए ही लोग है शर्थक होते।
हमने देखा है तमाम रिश्तों को बिलाप होते। हमने देखा है मेरे पिता को रोते। हमने देखा है मेरी माँ को बच्चों सी जिद करते।
हमने देखा है कई रिश्तों को इतिहास को दोहराते। हमने देखा है यमराज के हाथों छीन कर अपने प्रेम को लाते। हमने कई बार देखा है इन सम्बन्धो में इस्वर को समाते।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें