हमने देखा है इस दौर को ना जाने किस बात की जल्दी है?
रोज़ मारा की यहाँ  जिंदगी को जीत जाने की खलबली है।

मगर उन्हें कौन समझाए?
की यह बस एक शोर है।

हमने देखा है इस दौर को ना जाने किस बात की जल्दी है?
मगर उन्हें कौन  समझाए?

क़ी यह दौर है थम जाने का करुणा की प्यास बुझाना है।
हमने देखा है इस दौर को ना जाने किस बात कि जल्दी है?

सड़को पर भागती जिंदगियां बयां करती है दुविधा हमारी।
हमने देखा है झरने से बहती हुई बूंदे बयां करती है जिंदगानी की कहानीयाँ।

हम रंक हुए तो क्या अब आई है बारी राजा को भेट देना है।
हमने देखा है इस दौर को दूसरे के जुल्फों में उलझते
मगर उन्हें कौन समझाए?

की यह दौर है खुद की उलझे  जुल्फों को संवारना है?
अजब सी भगदड़ मची है जीवन मे ना?

 इस बार सड़के वीरान है हम घरों में कैद है और पसु-पंछी आज़ाद है।
हमने देखा है इस दौर को ठहरते गैरो के हिज़्र में।

मगर उनको कौन समझाए इस बार ठरना है अपने आँगन में।
हमने देखा है सुबह होते ही दौड़ शुरू होते सड़को पर
मगर उन्हें कौन समझाए?

इस बार जीत दौड़ने वालो की नही रुक जाने वालों की होगी।
हमने देखा है इस दौर को यहां अजीब सी चहल-पहल है।
मगर उन्हें कौन समझाए?

इस प्रकृति को शांति पसन्द है।
हमने देखा है इस दौर को ना जाने किस बात की जल्दी है?
नॉट:- घर मे रहे।
सुरक्षित रहे।

Radha Mahi Singh

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