समय का पहिया चलता है दिन चढ़ता है , दिन ढलता है रात आती है, फिर सवेरा होता है। अंधेरी रात ,डरावनी रात सुनसान सन्नाटा, क...
कार्तिक पूर्णिमा की शीतल रात्री है दूधिया सी चाँदनी बिख़र रही है मंद मंद पवन मुस्कुरा रही है हरश्रिंगार की भीनी ख़ुशब...
बगिया में एक फूल खिला था दिल उसका भवरे से जुड़ा था पढ़े - जल रही बिखर रही . . . पर वो भवरा तो मनचला था डाली डाली फिरता फिरा...
जल रही बिखर रही टुकड़ों का हिसाब नहीं कोई पास नही मेरे और कोई आस नहीं पढ़े - फिर तरुवर तुम्हें क्यों अहंकार . . . रिस्ते नाते सब...
तुम तरुवर मैं बेल सही तुम मेरा जीवनआधार सही तुम सशक्त और मेरा सहारा सही तुम आश्रयदाता, मेरा आभार सही पढ़े - खुश रहिए आप मुस्कराइए . ...
जो आप इक बार घर आ जाते तो तार दिलों के फिर जुड़ जाते वो उलझनें जो फैल गई है दरमयां बस नज़रें मिलते ही सुलझ जातीं पढ़े - खुश रहिए आप...
वो आग का दरिया था, हमने समंदर जाना था, गए तो थे प्यास बुझाने, रह गए झुलस के हम अनजाने। पढ़े - खुश रहिए आप मुस्कराइए हम व...
खुश रहिए आप मुस्कराइए आप जाने कितने बेचैन दिलों की मुस्कराहट है आपसे अनगिनत अरमानों के दिए जल जाते हैं, हां हां, जब आप बस एक बार मु...